Pages

Thursday, April 7, 2011

क्यों रोता है जड़ तकियों पर

क्यों रोता है जड़ तकियों पर!

जिनका उर था स्नेह विनिर्मित,
भाव सरसता से अभिसिंचित,
जब न पसीजे इनसे वे भी, आज पसीजेगें क्या पत्थर!
क्यों रोता है जड़ तकियों पर!

इनमें मानव का जीवन है,
जीवन का नीरव क्रंदन है,
नष्ट न कर तू इन बूँदों को मरुथल के ऊपर बरसाकर!
क्यों रोता है जड़ तकियों पर!

रो तू अक्षर-अक्षर में ही,
रो तू गीतों के स्वर में ही,
शांत किसी दुखिया का मन हो जिनको सूनेपन में गाकर!
क्यों रोता है जड़ तकियों पर!


No comments:

Post a Comment